सूरज की पहली किरण से शाम की स्याह चादर तक, दूर क्षितिज से ऩीले अंबर तक प्रकृति की निराली छठाओं के बीच कुछ है तो वो है "बेटियाँ" अर्थात औरत का एक रूप ,सृष्टी के आदि और अंत के बीच एक सच है तो वो है बेटियाँ फिर बेटियों से इतनी नफरत क्यों? आईये एक नया और ईमानदार संकल्प लें-----------"बेटियों को बचायें".