स्मृ ति करवी हो या मीठी इंसान के बजूद को हमेशा झकझोरती है। हम अपने अतीत से पीछा छुड़ाने की बहुत कोशिश करते है पर कामयाब नहीं होते। भले ही इकीसवीं सदी में जाने की बात करें पर हमारी मानसिकता तो बरसों पुरानी है,हमने औरत को आग में जलाया है है सती प्रथा के नाम पर, घरों में कैद किया है पर्दा प्रथा की खातिर। हमारा देश वो है जहाँ बेटियां मार दी जाती है आज भी जन्म के तुरंत बाद फिर हम क्या आशा करें अपने देशवासियों से। ................ क्या वो बेटियों को जीने देंगे ?
Save Child
Saturday 9 August 2014
Sunday 28 July 2013
SAVE FEMALE CHILD
सूरज की पहली किरण से शाम की स्याह चादर तक, दूर क्षितिज से ऩीले अंबर तक प्रकृति की निराली छठाओं के बीच कुछ है तो वो है "बेटियाँ" अर्थात औरत का एक रूप ,सृष्टी के आदि और अंत के बीच एक सच है तो वो है बेटियाँ फिर बेटियों से इतनी नफरत क्यों? आईये एक नया और ईमानदार संकल्प लें-----------"बेटियों को बचायें".
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