Saturday 9 August 2014

स्मृ ति करवी   हो  या  मीठी इंसान  के  बजूद  को  हमेशा  झकझोरती  है। हम  अपने  अतीत  से  पीछा  छुड़ाने  की  बहुत  कोशिश  करते है पर कामयाब नहीं होते। भले ही इकीसवीं सदी में जाने की बात करें  पर हमारी मानसिकता तो बरसों  पुरानी है,हमने औरत को आग में जलाया है है सती  प्रथा के नाम पर, घरों  में कैद किया है  पर्दा प्रथा की खातिर।  हमारा देश वो है जहाँ बेटियां मार दी जाती है आज भी जन्म  के तुरंत बाद फिर हम क्या आशा करें  अपने देशवासियों  से। ................ क्या वो बेटियों को जीने देंगे ? 

Sunday 28 July 2013

SAVE FEMALE CHILD

सूरज की पहली किरण से शाम की स्याह चादर तक, दूर क्षितिज से ऩीले अंबर तक प्रकृति की निराली छठाओं के बीच कुछ है तो वो है "बेटियाँ" अर्थात औरत का एक रूप ,सृष्टी के आदि और अंत के बीच एक सच है तो वो है बेटियाँ फिर बेटियों से इतनी नफरत क्यों? आईये एक नया और ईमानदार संकल्प लें-----------"बेटियों को बचायें".

Wednesday 15 May 2013